जिला अध्यक्षों में हुड्डा की साज़िश, मजबूत जाट नेताओं का किया पत्ता कट!

Haryana

नमस्कार दोस्तों, स्वागत है आपका हमारे चैनल MSTV India पर! आज हम बात करने वाले हैं हरियाणा की सियासत में एक बड़े ट्विस्ट की। क्या आप जानते हैं कि कांग्रेस हाईकमान ने मंगलवार को हरियाणा के सभी जिलों में नए जिला अध्यक्षों की लिस्ट जारी की है? लेकिन इसमें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का मास्टरस्ट्रोक छिपा है! उन्होंने दूसरे मजबूत जाट नेताओं का पत्ता साफ कर दिया, ताकि पार्टी में उनका वर्चस्व कायम रहे। कौन हैं वो जाट नेता जिन्हें साइडलाइन किया गया, और हुड्डा ने ऐसा क्यों किया? आज हम आपको विस्तार से बताते हैं। क्योंकि ऐसे जमीनी विश्लेषण सिर्फ यहां मिलेंगे!

हुड्डा का मास्टर प्लान: जाट नेताओं का पत्ता कट!

दोस्तों, सबसे पहले बैकग्राउंड समझिए। मंगलवार शाम को कांग्रेस हाईकमान ने 32 नए जिला अध्यक्षों की लिस्ट जारी की – ये 11 साल बाद हुआ है! लेकिन असली खेल यहां है – इस लिस्ट में हुड्डा की छाप साफ दिखती है। सूत्रों के मुताबिक, 19 अध्यक्ष हुड्डा कैंप से हैं, जबकि 12 सेलजा कैंप से। लेकिन caste ब्रेकडाउन देखिए: सिर्फ 6 जाट, 10 OBC, 5 SC, 5 ब्राह्मण, और बाकी पंजाबी, राजपूत, मुस्लिम वगैरह। हरियाणा जैसे जाट-डॉमिनेटेड राज्य में कांग्रेस प्रो-जाट इमेज से दूर जाना चाहती है, क्योंकि 2024 चुनावों में गैर-जाट वोट BJP के पास चला गया था।

लेकिन हुड्डा ने क्यों काटा अपनों का ही पत्ता?

अब मुख्य सवाल – हुड्डा ने दूसरे मजबूत जाट नेताओं का पत्ता क्यों काटा? दोस्तों, हुड्डा हरियाणा कांग्रेस के ‘बॉस’ हैं। 2024 चुनावों में हार के बाद उन पर आरोप लगा कि उन्होंने टिकट अपने लॉयलिस्ट्स को दिए, रिवल्स को साइडलाइन किया, जिससे रिबेल्स बने और पार्टी हारी। अब इस रिवैंप में उन्होंने सुनिश्चित किया कि कोई दूसरा मजबूत जाट नेता पार्टी में चैलेंज न कर सके। उदाहरण देखिए:

  1. लाल बहादुर खोवाल (हिसार): सेलजा कैंप के मजबूत जाट समर्थक। उन्हें हिसार रूरल का अध्यक्ष बनने की उम्मीद थी, लेकिन उनकी जगह बृजलाल बहबलपुरिया को दिया गया।ये हुड्डा का तरीका है विरोधी जाट फैक्शन को कमजोर करने का। कुल मिलाकर, हुड्डा ने सुनिश्चित किया कि जाट लीडर्स की संख्या कम रहे, ताकि पार्टी की इमेज ब्रॉड हो और उनका कंट्रोल बना रहे। रोहतक जैसे जाट-बाहुल्य जिले में भी SC (बलवान सिंह रंगा) और OBC (कुलदीप सिंह) को अध्यक्ष बनाया गया – हुड्डा का होम डिस्ट्रिक्ट, जहां वो नहीं चाहते कोई दूसरा जाट स्ट्रॉन्ग बेस बनाए।
  2. अन्य संभावित साइडलाइन जाट नेता: जैसे राव दान सिंह या करण दलाल जैसे पुराने जाट चेहरे, जिन्हें कोई पोस्ट नहीं मिली। अनिरुद्ध चौधरी (भिवानी) और रमेश मलिक (पानीपत) जैसे कुछ जाट हुड्डा लॉयलिस्ट्स को जगह मिली, लेकिन रिवल जाट्स को बाहर रखा गया। कुल 6 जाट चीफ्स में ज्यादातर हुड्डा के वफादार।

क्यों किया ऐसा? वजह साफ – हुड्डा का वर्चस्व बनाए रखना। अगर ज्यादा मजबूत जाट नेता आते, तो पार्टी में इंटरनल चैलेंज बढ़ता, जैसे 2024 में हुआ। हुड्डा जानते हैं कि जाट वोट उनका बेस है, लेकिन पार्टी को जीतने के लिए गैर-जाट सपोर्ट चाहिए। इसलिए, OBC और SC को प्रमोट करके उन्होंने BJP के CM नायब सैनी (OBC) को काउंटर किया, और खुद की पोजिशन स्ट्रॉन्ग की। ये एक स्ट्रैटेजिक मूव है – पार्टी को मजबूत दिखाने के बहाने अपना कंट्रोल टाइट करना!आप क्या सोचते हैं – कमेंट में बताएं!

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