हरियाणा में राहुल की एक ना चली,ज्यादातर जिला अध्यक्ष हुड्डा गुट के!

Haryana

नमस्ते दोस्तों! स्वागत है आपके अपने चैनल MSTV India पर, जहां हम सियासत की हर खबर को बारीकी से परखते हैं! आज की कहानी हरियाणा कांग्रेस की, जहां गुटबाजी का तूफान थमने का नाम नहीं ले रहा! राहुल गांधी ने पूरी कोशिश की, लेकिन भूपेंद्र हुड्डा का विकल्प ढूंढने में वो नाकाम रहे! ज्यादातर जिला अध्यक्ष हुड्डा गुट के! 32 जिला अध्यक्षों की लिस्ट में हुड्डा का जलवा! और सुरजेवाला का प्रभाव तो लगभग न के बराबर रहा। सुरजेवाला खेमा कहीं नजर नहीं आया! तो क्या सुरजेवाला हरियाणा की सियासत में हाशिए पर चले गए हैं? क्या वो चुपचाप हार मान लेंगे, या फिर कोई बड़ा सियासी धमाका करेंगे? चलिए, इस ड्रामे को शुरू से समझते हैं!

हरियाणा कांग्रेस का सियासी ड्रामा!


दोस्तों, मंगलवार देर शाम को कांग्रेस हाईकमान ने हरियाणा में 32 जिला अध्यक्षों की सूची जारी की, और ये खबर आग की तरह फैल गई! 11 साल बाद हरियाणा कांग्रेस में संगठन का विस्तार हुआ है, लेकिन इस लिस्ट ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। क्यों? क्योंकि इस लिस्ट में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का दबदबा साफ नजर आ रहा है। 32 में से 19 जिला अध्यक्ष उनके खेमे से हैं, जबकि कुमारी सैलजा के खेमे से सिर्फ 11 नेताओं को जगह मिली। बाकी 2 नाम तटस्थ माने जा रहे हैं।तो क्या ये सूची बताती है कि हरियाणा में कांग्रेस का असली बॉस भूपेंद्र हुड्डा ही हैं? और राहुल गांधी, जो नए नेतृत्व को लाने की कोशिश में थे, वो इस बार फिर हुड्डा के सामने झुक गए?

सुरजेवाला खेमा: 0 जिला अध्यक्ष

इस लिस्ट में भूपेंद्र हुड्डा का दबदबा साफ दिखा, कुमारी सैलजा के खेमे को भी कुछ जगह मिली, लेकिन रणदीप सिंह सुरजेवाला का प्रभाव लगभग शून्य रहा। 32 में से एक भी जिला अध्यक्ष ऐसा नहीं है, जिसे स्पष्ट रूप से सुरजेवाला खेमे का माना जा रहा हो।रणदीप सुरजेवाला, जो कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं और पार्टी के बड़े चेहरों में से एक माने जाते हैं, उनके लिए ये एक बड़ा झटका माना जा रहा है। हरियाणा में उनकी सियासी जमीन पहले से ही कमजोर मानी जा रही थी, और अब इस सूची ने उनके प्रभाव को और कमजोर कर दिया है। हरियाणा की जमीनी सियासत में उनकी स्थिति हमेशा से भूपेंद्र हुड्डा के सामने कमजोर रही है। क्यों? चलिए समझते हैं।पहला, सुरजेवाला का वोट बैंक और संगठन पर पकड़ हुड्डा जितनी मजबूत नहीं है। हुड्डा का जाट समुदाय में गहरा प्रभाव है, जो हरियाणा की सियासत में बड़ा फैक्टर है। दूसरा, सुरजेवाला को हाल के वर्षों में राष्ट्रीय स्तर पर ज्यादा जिम्मेदारियां दी गईं, जिसके चलते हरियाणा में उनकी जमीनी सक्रियता कम हुई।

सुरजेवाला का क्या होगा?

तो अब सवाल ये है – रणदीप सुरजेवाला इस स्थिति से कैसे उबरेंगे? क्या वो चुपचाप हार मान लेंगे, या कोई बड़ा सियासी दांव खेलेंगे? कुछ जानकारों का मानना है कि सुरजेवाला अब दिल्ली में कांग्रेस हाईकमान के सामने अपनी बात रख सकते हैं। वो राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे से हरियाणा में ज्यादा जिम्मेदारी की मांग कर सकते हैं। दूसरी तरफ, सुरजेवाला हरियाणा में अपनी जमीनी सक्रियता बढ़ाने की कोशिश कर सकते हैं। एक और संभावना ये है कि सुरजेवाला कुमारी सैलजा के साथ मिलकर एक नया सियासी समीकरण बना सकते हैं।


तो दोस्तों, हरियाणा कांग्रेस का ये सियासी ड्रामा अभी और रोमांचक होने वाला है! आपको क्या लगता है – क्या सुरजेवाला हरियाणा में अपनी खोई जमीन वापस पा लेंगे, या हुड्डा का दबदबा और बढ़ेगा? अपनी राय कमेंट में जरूर शेयर करें।

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